आज का पंचांग

आज का पंचांग 🌞 10 जून 2022 🚩

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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅दिनांक 10 जून 2022
⛅दिन – शुक्रवार
⛅विक्रम संवत – 2079
⛅शक संवत – 1944
⛅अयन – उत्तरायण
⛅ऋतु – ग्रीष्म
⛅मास – ज्येष्ठ
⛅पक्ष – शुक्ल
⛅तिथि – दशमी सुबह 07:25 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅नक्षत्र – चित्रा रात्रि (11 जून प्रातः 03:37 ) तक तत्पश्चात स्वाती
⛅योग – वरीयान रात्रि 11:36 तक तत्पश्चात परिघ
⛅राहुकाल – सुबह 10:58 से दोपहर 12:39 तक
⛅सूर्योदय – 05:53
⛅सूर्यास्त – 07:25
⛅दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12.18 से 01:00 तक
⛅व्रत पर्व विवरण- माता गायत्री जयंती
⛅ विशेष – दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹निर्जला एकादशी व्रत कब करें ?
🌹एकादशी 10 जून शुक्रवार प्रातः 07:26 से 11 जून शनिवार प्रातः 05:45 तक है ।
🌹निर्णयसिन्धु के प्रथम परिच्छेद में एकादशी के निर्णय में 18 भेद कहे गये हैं l
🌹कालहेमाद्रि में मार्कण्डेयजी ने कहा है – जब बहुत वाक्य के विरोध से यदि संदेह हो जाय तो एकादशी का उपवास द्वादशी को ग्रहण करें और त्रयोदशी में पारणा करें ।
🌹पद्म पुराण में आता है कि एकादशी व्रत के निर्णय में सब विवादों में द्वादशी को उपवास तथा त्रयोदशी में पारणा करें ।
🔹विशेष – अतः शास्त्र अनुसार निर्जला एकादशी व्रत 11 जून शनिवार को रखें ।
🔹निर्जला एकादशी ( 11 जून 2022 ) आसानी से कैसे करें ?
🔹सुबह सूर्योदय से पहले-पहले भरपेट पानी पी लें ।
🔹अगर घर में देशी गाय का घी है तो सूर्योदय से पहले ही 25 से 50 ग्राम गुनगुने पानी के साथ ले लें । इससे भूख-प्यास की उग्रता कम होगी, व्रत करने में आसानी होगी।
🔹सूर्योदय से पहले नींबू व मिश्री मिलाकर पानी पी लें तो प्यास कम लगेगी।
🔹दोपहर या शाम के समय मुल्तानी मिट्टी शरीर पर लगाकर आधा या एक घण्टे रखकर स्नान करें तो प्यास नही सताएगी । मुल्तानी में अगर पलाश के पाउडर अथवा छाछ, नींबू मिला ले अथवा इसमे से कोई भी एक चीज मिला ले तो प्यास नहीं सताएगी ।
🔹अनावश्यक घर से बाहर न जाए, भागदौड़ न करें जिससे पसीना न बहे । जितना कम पसीना बहेगा उतनी प्यास कम लगेगी, सम्भव हो तो मौन रखें, जप ध्यान करें , सत्संग सुनें, शास्त्र पढ़ें ।
🔹एकादशी व्रत तोड़ने की विधि:-
🔹दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके अपना जप का नियम करके फिर सूर्य को अर्ध्य देकर फिर व्रत तोड़ें ।
🔹7 भुने हुए चने को बीच से तोड़कर कुल 14 टुकड़े हाथ मे लेकर खड़े हो जाये ।
🔹(14 टुकड़ों को ) एक टुकड़ा आगे एक पीछे फेंकते जाएं, कि मेरे समस्त पाप संतापों का नाश हो, अंतःकरण शुद्ध हो ॐ ॐ ॐ ।
🔹कुछ भुने हुए चने खा लें, जिससे जमा हुआ कफ चने के साथ शरीर से बाहर आ जाये ।
🔹उसके बाद गुनगुने पानी मे नीबू की शिकंजी (सेंधा नमक भी अल्प मात्रा में डालें) बनाकर पियें ।
🔹एक डेढ़ घण्टे बाद बहुत पतली मूँग (बगैर मिर्च मसाले के हल्दी -धनिया डालकर) अथवा मूंग का पानी एक चम्मच घी डालकर खाएं ।
🔹पूरे दिन गुनगुना पानी ही पियें तो अच्छा होगा , कोई भी भारी चीज न खाएं, पूरा दिन मूँग ही खाएं तो अतिउत्तम होगा ।
🔸नोट : आप स्वस्थ हैं तो निर्जला रखिये यह सर्वोत्तम होगा, आपको पूरा पुण्य भी मिलेगा, अगर आपका स्वास्थ्य /उम्र निर्जला रखने की अनुमति नही दे रहा है (आप मधुमेह, उच्च रक्तचाप के रोगी हैं) तो सजला रखिये, अगर सजला भी नहीं रख सकते तो केवल दूध पर रहिये, अगर यह भी सम्भव नहीं तो फल और दूध पर रहिये ।🔥 विशेष – 🌷 निर्जला एकादशी🌷
➡️ १० जून २०२२ शुक्रवार को प्रातः ०७:२६ से ११ जून शनिवार को प्रातः ०५:४५ तक एकादशी हैं।
💥 विशेष – 11 जून, शनिवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें।
👉🏻 (१० जून, शुक्रवार निर्जला-भीम एकादशी (स्मार्त) ११ जून, शनिवार को निर्जला-भीम एकादशी (भागवत)
🙏🏻 निर्णयसिन्धु के प्रथम परिच्छेद में एकादशी के निर्णय में १८ भेद कहे गये हैं।
🙏🏻 कालहेमाद्रि में मार्कण्डेयजी ने कहा है – जब बहुत वाक्य के विरोध से यदि संदेह हो जाय तो एकादशी का उपवास द्वादशी को ग्रहण करे और त्रयोदशी में पारणा करें।
🙏🏻 पद्म पुराण में आता है कि एकादशी व्रत के निर्णय में सब विवादों में द्वादशी को उपवास तथा त्रयोदशी में पारणा करें।
🌷 एकादशी व्रत के लाभ 🌷
🙏🏻 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं हैं।
🙏🏻 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता हैं, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता हैं।
🙏🏻 जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता हैं।
🙏🏻 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं। इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती हैं।
🙏🏻 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती हैं।
🙏🏻 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती हैं, जिससे जीवन रसमय बनता हैं।
🙏🏻 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती हैं। पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ। भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है। एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता हैं।
🌷 एकादशी के दिन करने योग्य 🌷
🙏🏻 एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें……. अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे।
🌷 एकादशी के दिन ये सावधानी रहे 🌷
🙏🏻 महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता हैं लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो चावल खाता हैं… तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता हैं…
निर्जला एकादशी व्रत कब करें १० या ११ जून को ?
पद्मपुराण में एक प्रसंग हैं जब भगवान वराह और हिरण्याक्ष का युद्ध हो रहा था तब भगवान नारायण के बार बार कोशिश करने पर भी जब हिरण्याक्ष नहीं मर रहा था तब भगवान ब्रह्मा जी ने भगवान नारायण जी से पूछा हे प्रभु यह असुर तो आपकी दृष्टि मात्र से मरना चाहिए ऐसा क्यों हो रहा है कि आप इसे मार नहीं पा रहे हैं।
तब भगवान जी बोले ब्रह्मा जी शुक्राचार्य की माया से मोहित होने से कुछ ब्राह्मण दशमी युक्ता एकादशी का व्रत कर रहे हैं।
क्योंकि दशमी के दिन दैत्यों की उत्पत्ति हुई थी और एकादशी के दिन देवताओं की उत्पत्ति हुई थी इसीलिए दशमी को व्रत करने से दैत्यों का बल बढ़ता हैं और एकादशी को व्रत करने से देवताओं का बल बढ़ता हैं ब्राह्मणों के दशमी विद्धा एकादशी का व्रत करने से दैत्य का बल बढ़ रहा है और यह मर नहीं रहा हैं।
जो मनुष्य दशमी युक्ता एकादशी का व्रत करता हैं उसके अंदर आसुरी शक्ति बढ़ती हैं।
कलियुग में सब लोग मोहित हो कर दशमी विद्धा एकादशी का व्रत करेंगे इसीलिए दुनिया में अशांति बनी रहेगी।
जब सीता जी को लक्ष्मण जी वाल्मीकि ऋषि के आश्रम में छोड़ कर आए थे तब सीता जी ने वाल्मीकि ऋषि से पूछा कि हे ऋषिवर मैंने जीवन में कभी पाप नहीं किया पतिव्रता रही पति की सेवा की फिर भी मेरे जीवन में इतने सारे कष्ट क्यों आए तब बाल्मीकि जी ने सीता जी को जवाब दिया था कि आपने कभी पूर्व जन्म में दशमी विद्धा एकादशी का व्रत किया था उसी दिन भगवान की पूजा की थी उससे पुण्य नहीं पाप पड़े उसी का परिणाम है कि आपको यह कष्ट झेलना पड़ा ।
पुराणों में लिखा हैं कि दशमी विद्धा एकादशी का व्रत करने से धन और पुत्र का विनाश होता हैं।
इस बार जून १० को निर्जला एकादशी दशमी विद्धा अशुद्ध आसुरी शक्ति को बढ़ाने वाली हैं इसीलिए उस दिन एकादशी का व्रत कदापि शास्त्र सम्मत नहीं है इसलिए सभी को एकादशी ११ जून शनिवार को करना चाहिए पुराणों में स्पष्ट मत मिलता है कि अगर दशमी विद्धा एकादशी हो दूसरे दिन सूर्योदय से पहले एकादशी समाप्त हो रही हो तो द्वादशी के दिन एकादशी का व्रत करके त्रयोदशी को पारण करना चाहिए।
📖 ✍️पंचांग संपादक :~ आपका ज्योतिष
www.aapkajyotish.in. 🚩🕉️🙏

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