आज का पंचांग

आज का पंचांग 🌞 01 जून 2022 🚩

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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅दिनांक 01 जून 2022 ⛅दिन – बुधवार
⛅विक्रम संवत – 2079
⛅शक संवत – 1944
⛅अयन – उत्तरायण
⛅ऋतु – ग्रीष्म
⛅मास – ज्येष्ठ
⛅पक्ष – शुक्ल
⛅तिथि – द्वितीया रात्रि 09:46 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅नक्षत्र – मृगशिरा दोपहर 01:01 तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅योग – शूल रात्रि 01:35 तक तत्पश्चात गण्ड
⛅राहुकाल – दोपहर 12:38 से 02:19 तक
⛅सूर्योदय – 05:54
⛅सूर्यास्त – 07:21
⛅दिशाशूल – उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:29 से 05:12 तक
⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12.16 से 12:59 तक
⛅व्रत पर्व विवरण- महर्षि पराशर जयंती
⛅ विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा वैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹गंगा स्नान का फल🔹
🌹”जो मनुष्य आँवले के फल और तुलसीदल से मिश्रित जल से स्नान करता है, उसे गंगा स्नान का फल मिलता है ।” (पद्म पुराण , उत्तर खंड)
– 📖Lok Kalyan Setu Dec’ 2012
🔹संम्पति और सौभाग्य की बढ़ोतरी के लिए🔹
🌹भविष्य पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष के तृतीया के दिन रम्भा व्रत आता है… (02 जून 2022 गुरुवार) इस दिन व्रत करने से और जप करने से संपत्ति और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है | माँ पार्वती ने भी ये व्रत किया था | सुहागन देवियों को खास करना चाहिए …जिनके घर में शादी के बाद दिक्कतें आ रही हैं, उन बहनों को आप बता सकते हो | इस दिन तीन मंत्र बोल कर माँ पार्वती को प्रणाम करना चाहिए …
🌹ॐ महाकाल्‍यै नमः
🌹ॐ महालक्ष्म्यै नमः
🌹ॐ महासरस्वत्यै नमः
🔹ससुराल में कोई तकलीफ🔹
🌹किसी सुहागन बहन को ससुराल में कोई तकलीफ हो तो शुक्ल पक्ष की तृतीया को उपवास रखें … उपवास माने एक बार बिना नमक का भोजन कर के उपवास रखें..भोजन में दाल चावल सब्जी रोटी नहीं खाएं, दूध रोटी खा लें.. शुक्ल पक्ष की तृतीया को.. अमावस्या से पूनम तक की शुक्ल पक्ष में जो तृतीया आती है, उस दिन ऐसा उपवास रखें …नमक बिना का भोजन (दूध रोटी) , एक बार खाएं बस ।📖श्री मद्भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 12
इष्टान्भोगान्हि वो देवा दास्यन्ते यज्ञभाविता:।
तैर्दत्तानप्रदायैभ्यो यो भुङ्क्ते स्तेन एव स:।।
श्लोक का सरलीकरण
इष्टान् भोगान् हि व: देवा दास्यन्ते यज्ञभाविता:।
तै: दत्तान् अप्रदाय एभ्य य: भुंक्ते स्तेन एव स:।।
शब्दार्थ:-
यज्ञभाविता:=यज्ञ सेवा से संतुष्ट हुए
देवा:=(ब्राह्मण)देव
हि=ही
व:=तुमको
इष्टान्=इच्छित
भोगान्=भोग
दास्यन्ते=प्रदान करेंगे।
तै:=उनके द्वारा
दत्तान्=दिए हुए (भोगों) को
एभ्य:=उन्हें
अप्रदाय=अर्पण किए बिना
य:=जो(पुरुष)
भुंक्ते=भोगता है,
स:=वह
स्तेन:एव=चोर ही है।
भावार्थ:- यज्ञ सेवा से संतुष्ट हुए ब्राह्मण देव ही तुमको इच्छित भोग प्रदान करेंगे।
उनके द्वारा दिए हुए भोगों को उन्हें अर्पण किए बिना जो पुरुष भोगता है,वह चोर ही है। 📖 ✍️पंचांग संपादक :~ आपका ज्योतिष
www.aapkajyotish.in. 🚩🕉️🙏

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